ईरान ' शब्द ' आर्यात ' का विकृत रूप है । मैक्समूलर का मत है कि ईरानियो के पूर्वज भारतीय थे । वहाँ भारतीय नाम सरस्वती हरहरवती ) सरयू ( हरयू ) भरत ( फरत या यूफरत ) काशी ( कास्सी ) आदि प्रचलित है । पर्शिया के इतिहास में मत्स्य , उरवशी , यम , नृग , नृसिह , आदि सभी देव विदेशी माने गए है । इजिकियल , जेनेसिस और अन्य ईरानी इतिहासकार भी इनके वंश - वृक्ष से अज्ञात है । यह वंश - वृक्ष हमारे पास पुराणो मे सुरक्षित है और ये सब छठे मन्वन्तर के पुरुष है । ईरानी सभ्यता का जन्म - स्थल ईलाम ' है , जिसकी राजधानी पर्शिया संसार की प्राचीनतम राजधानी थी । ईलाम - इलावृत्त हो सुरपुर के नाम से विख्यात हुआ । तथा उस काल मे ईरान , वैबिलोनिया , सीरिया , मित्र और यवन ( यूनान ) के शासक सूर्यवंशी थे ; जो पीछे वहाँ के देव मान लिये गए । ८००० ईस्वी पूर्व मे सुषा मे देवगण सर्वोच्च सभ्यता का विस्तार करके रहते थे । चाक्षुष मन्वन्तर से लेकर असुर सम्राट् वागीपाल के समय -६४५ ईस्वी पूर्व तक , पशिया मे देवो का शासन रहा , जिनमे वरुण , मित्र , अंगिरा , , अत्यराति , तपोरत , नृग , सिह , सूर्य , किश , अग्नि प्रादि प्रमुख थे ।
07/05/2020 09:04 PM
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