Hinduism is the Only Dharma

Hinduism is the Only Dharma in this multiverse comprising of Science & Quantum Physics.

Josh Schrei helped me understand G-O-D (Generator-Operator-Destroyer) concept of the divine that is so pervasive in the Vedic tradition/experience. Quantum Theology by Diarmuid O'Murchu and Josh Schrei article compliments the spiritual implications of the new physics. Thanks so much Josh Schrei.

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Dhanyabad from Anil Kumar Mahajan
-Cheeta

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Tuesday, March 15, 2011

पाकिस्तान में बसे अल्पसंख्यक


पाकिस्तान में बसे अल्पसंख्यक

पाकिस्तान में बसे अल्पसंख्यकों ने पिछले दिनों दो दिन का एक सम्मेलन किया था जिसमें हिन्दू, ईसाई, सिख और मिर्जा हुसैन अली नमूरी बेतुत्लाह के अनुयाईयों ने भाग लिया था। सम्मेलन में सभी लोगों ने इस बात पर रोष व्यक्त किया कि पाकिस्तानी मुस्लिम समाज और अधिकारियों द्वारा हर पहलू से शोषण किया जा रहा है। सेना में भर्ती, सिविल नौकरियां बैंकों तथा अन्य संस्थाओं में अल्पसंख्यकों को नौकरी का मौका ही नहीं दिया जाता। फिर भी यदि उनकी भर्ती हो भी जाती है तो उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर तैनात नहीं किया जाता और उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। एक हिन्दू पत्रकार सतनाम ने कहा कि अगर कोई हिन्दू अपनी काबिलियत के बल पर ऊंचे पद पर पहुँच भी जाए तो उसे किसी मुस्लिम जूनियर अधिकारी के नीचे काम करना पड़ता है।

पाकिस्तानी कानून में हाउसिंग कॉलोनियों में हिन्दू न तो कोई प्लॉट खरीद सकता है न को मकान। प्रभुदेवा नामके एक हिन्दू ने सकूर में अपने एक मुस्लिम मित्र के नाम पर प्लाट खरीदना पड़ा क्योंकि वह वहाँ जमीन नहीं खरीद सकता था। आज़ादी के बाद हुए विभाजन के बाद भी पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र में हर जगह हिन्दुओं का वर्चस्व था मगर आज सभी हिन्दू वहाँ दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर हैं। मैगवार जाति के पढ़े-लिखे हिन्दू नौजवानों ने एक संस्था बनाई है पुकार मैगवार साथ जिसने भविष्य की कई योजनाएं बनाई हैं। पाकिस्तान की 16 करोड़ से अधिक की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम है। बँटवारे के 62 साल बाद पाकिस्तान में हिन्दुओं की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
पाकिस्तान सरकार हिन्दुओं की संख्या कम दिखाने के लिए आँकड़ो में फेरबदल करती है थरपाकर में हिन्दू बहुसंख्या में हैं लेकिन सरकार ने मुसलमानों का बहुमत दिखाने के लिए हिन्दुओं और मुसलमानों की संख्या क्रमशः 49 और 51 प्रतिशत कर दी है।

पाकिस्तान के संविधान में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सरकार को हिफ़ाज़त करनी पड़ेगी और उन्हें नौकरियाँ देनी होंगी लेकिन हक़ीक़त में ये सब बातें कागज़ों पर ही सीमित है। पाकिस्तान के स्कूलों हिन्दुओं के बच्चों को हिन्दू धर्म के बारे में नहीं पढ़ सकते न कोई हिन्दू अपने बच्चे को हिन्दू धर्म के बारे में पढ़ा सकता है, हर हिन्दू बच्चे को इस्लाम की शिक्षा लेना जरुरी है। पाकिस्तान में हिन्दू अपने परिजनों का अंतिम संस्कार तक हिन्दू रीती-रिवाजों के साथ नहीं कर सकते। पाकिस्तान में किसी भी हिन्दू की मौत होने पर उसके शव का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से नहीं किया जा सकता हर हिन्दू को अपने परिजनों के शव को क्रबिस्तान में दफन करना पड़ता है।

बँटवारे के समय पाकिस्तान में हर शहर में शमशान घाट थे, पाकिस्तानी प्रशासन ने स्थानीय गुंडों की मदद से सभी श्मशान घाटों को नष्ट कर उन पर अतिक्रमण करवाकर उनका नामोंनिशान मिटा दिया। ले-देकर लाहौर के नानक साहब (गुरू नानक साहब का जन्म स्थान जहाँ आज एक बहुत बड़ा गुरुद्वारा है और सिख समाज के परिजनों का अंतिम संस्कार यहाँ किया जाता है) में एक श्मशान घाट बचा है। लेकिन पाकिस्तान में बदहाली, बेबसी और गरीबी में जी रहे हिन्दू परिवारों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे अपने परिजनों के शव किसी दूसरे गाँव से यहाँ अंतिम संस्कार के लिए लेकर आएँ। पहले पाकिस्तान के सदन में हिन्दुओं को उनकी संख्या के आधार पर सीटें दी जाती थी, लेकिन षड़यंत्रपूर्वक हर जगह हिन्दुओं की आबादी को कम दिखाकर उनकी जगह इसाईयों को ये सीट दी जा रही है।

पाकिस्तान से पिछले चार साल में लगभग पाँच हजार हिन्दू परिवार पलायन करके भारत आ चुके हैं। पाकिस्तान में हिन्दुओं पर तालिबान और अन्य शक्तियाँ भयंकर अत्याचार कर रही हैं। पाकिस्तान में खासकर स्वात घाटी में सिख समुदाय और उससे पहले पूरे पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ भारी अत्याचार किया जा रहा है। अल्पसंख्यकों के प्रति पाकिस्तान सरकार का अब तक का रिकार्ड यह दर्शाता है कि वह इस बारे में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रही है। भारत सरकार पाकिस्तान के साथ आधिकारिक मुलाकातों में चिकनी चुपड़ी बातें तो करती है लेकिन वहां हिन्दुओं और सिखों के साथ पिछले कुछ सालों से हो रहे अत्याचार के बारे में खामोश बैठी हुई है।

वर्ष 2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरूआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलने वाली यह ट्रेन कराची से चलकर भारत के बाड़मेर के मुनाबाव सीमा से होकर जोधपुर तक जाती है। इस ट्रैन से पहले साल में लगभग 392 हिन्दू इस भारत आए थे। 2007 में ये आँकड़ा बढ़कर 880 का हो गया। 2008 में यह संख्या 1240 थी जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार से ज्यादा हिन्दू भारत आए। भारत आए सभी पाकिस्तानी हिन्दू अपनी वीजा अवधि को बढ़ाकर यहाँ रह रहे हैं और भारतीय नागरिक बनने की आस में हैं। हालांकि, यह आधिकारिक आँकड़ें हैं लेकिन सूत्रों पर गौर करें तो यह संख्या इससे कहीं अधिक है।पाकिस्तान में हिन्दुओं की हालत काफी दयनीय व चिंताजनक बनती जा रही है। हालात इतने बिगड़ते जा रहे हैं कि वहां पर जबरन अल्पसंख्यक हिन्दुओं को कट्टरपंथी मुल्लाओं द्वारा देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस कारण पाकिस्तान से भारत आ रहे हिन्दुओं की संख्या में भारी उछाल आया है।

दो हफ्ते पूर्व थार एक्सप्रेस से भारत पहुँचे पाकिस्तान के रहिमियार खान जिले के निवासी राणाराम पर तालिबानी कट्टरपंथियों द्वारा जुल्म ढाने की रोंगटे खड़ी करने वाली दास्तान सुनकर पत्थर ह्रदय व्यक्ति भी पसीज जाए। कट्टरपंथी तालिबानी उसकी पत्नी को न केवल उठाकर ले गए बल्कि बलात्कार के बाद उसे जबरन मुसलमान बना दिया। तालिबानियों ने उसकी छोटी बच्ची का भी अपहरण कर लिया तथा उसका नाम बदल कर शबीना रख दिया। कई महीनों की कवायद के बाद राणाराम बच्ची को तो वापस हासिल करने में कामयाब हो गए लेकिन रेहाना बनी पत्नी उसे वापस नहीं मिल सकी। आखिर राणाराम ने अपने बच्चों की सुरक्षित जिंदगी के लिए भारत का रूख किया। राणाराम ने जैसे ही भारत के मुनावाब स्टेशन की सरजमीं पर कदम रखा, उसकी आँखें भर आई। हालांकि, ये खुशी के आंसू थे लेकिन उनके चेहरों पर तालिबानी कट्टरपंथियों का खौफ पढ़ा जा सकता था। लेकिन ये केवल राणाराम के साथ ही हुआ हो ऐसा नहीं है सैकड़ों हिन्दू परिवार ऐसे हैं जिनकी बहू-बेटियों को तालिबानी और स्थानीय मुस्लिम गुंडे उठाकर ले गए हैं और उनको जबरन मुसलमान बनाकर अपने घरों में कैद करके रख लिया है।

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