Hinduism is the Only Dharma

Hinduism is the Only Dharma in this multiverse comprising of Science & Quantum Physics.

Josh Schrei helped me understand G-O-D (Generator-Operator-Destroyer) concept of the divine that is so pervasive in the Vedic tradition/experience. Quantum Theology by Diarmuid O'Murchu and Josh Schrei article compliments the spiritual implications of the new physics. Thanks so much Josh Schrei.

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Dhanyabad from Anil Kumar Mahajan
-Cheeta

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Saturday, December 18, 2010

1. Trayodashi {Pradosh } fast falling on a Sunday.

1. Trayodashi {Pradosh } fast falling on a Sunday.



Once upon a time, on the shore of the holy river Ganga, sages were gathered.Amongst all the sages, predominant disciple of the great sage Vyaaas, Suta ji also came chanting the holy names of Lord Vishnu.Seeing the great sage Suta approaching , all 88,000 Rishis { Sages }bowed down towards him in respect.


Sage Suta hugged all of them with love.Now all the Rishis{sages} sat down and they asked Suta ji , ''Oh greaat sage ,....please tell us How will one attain bhakti of Lord Shiv in Kalyug? In the dark age of kalyug , most of the people stay away from the Vedas and the holy scriptures.In kalyug, people wiill become victims of many huge problems.In Kalyug , people will not at all be interested in doing good karmas.On this earth, a person who is full of knowledge but does not share his knowledge with others, then the supreme father, God almighty, can never be happy with him. Hey great sage, please tell us, which is the great fast, by which one can attain a desired wish.''


Hearing this sage Suta spoke, '' Hey great sages, you along with the great Shaunak ji, deserved to be thanked.You all are so great because you always want to do good for others.Hence, I will narrate you about the fast by keeping of which one's all sins are destroyed.This fast increases the riches, destroys the saddness, provides happiness, provides issues, makes one's wishes come true.The glory of this fast was told by Lord Shiv to Goddess Sati, and it was told by her to my respected PaulGuru, and he narrated it to me and hence I narrate it to you all.


Sage Suta spoke ' For attaining good health and long life , one should keep the fast of Trayodashi falling on a Sunday.One should not eat the whole day and after worshipping Lod Shiv in the evening, one should eat.'' Rishis spoke '' Hey Suta ji, please tell us, who did the fast of Trayodashi and what was the result?''


Suta ji spoke ''Hey sages, in a village a Brahmin used to live. He was very poor.His pious wife used to keep the fast of Trayodashi.He had a son.His son went for having a bath in the holy river Ganga.Unfortunately, some thieves grabbed him and asked for the secret place where his father had been hiding money.The boy replied that they were so poor and had no money.Then thieves asked him what did he have with him.He showed them loaf that was made by his mother.Then the thieves understood that he was a poor boy so they let him go.Now the boy kept on walking and entered the territory of a city.


Here the boy sat under a Banyan tree and took rest and fell asleep.The policemen of that city were searching for the thioeves.They took the boy also as a thoef and presented him in front of the king.King threw him in the jail.At this time the mother of the boy was keeping the fast of the Trayodashi.Hence in the night the king had a dream that this boy is innocent, let him go, otherwise you will lose your kingdom because of this sin.The next morning the king asked the boy the whole story and called upon his parents also.His parents got scared but the king told them that their son was innocent and you are so poor and hence I donate 5 villages to you.Hence with worship of Lord Shiv, they all became happy.''


Aum Namah Shivaya

1. रविवारी प्रदोष /त्रयोदशी व्रत कथा


एक बार गंगा जी के तट पर ऋषि समाज द्वारा विशाल गोष्ठी का आयोजन किया गया। महाऋषिओं कि सभा में व्यास जी के परम शिष्य , पुराण वेत्ता, सूत जी , महाराज हरि कीर्तन करते हुए पधारे। सूत जी को देखते ही शौनाकादि ८८हज़ार ऋषि , मुनियों ने खड़े होकर दंडवत प्रणाम किया। महाज्ञानी सूत जी ने भक्ति भाव से ऋषियों को ह्रदय से लगाया और आशीर्वाद दिया। विद्वान् ऋषिगण और और सब शिष्य आसनों पर विराजमान हो गए।


मुनिगण विनीत भाव से पूछने लगे कि ' हे परम दयालू , कलियुग में भगवान् शंकर की भक्ति किस आराधना के द्वारा उपलब्ध होगी , हम लोगों को कृपया ये बताइए , क्यूंकि कलयुग के अधिकतर प्राणी पाप कर्मों में रत रहकर वेद शास्त्रों से विमुख रहेंगे । दीन जन अनेकों संकटों से त्रस्त रहेंगे हे मुनिश्रेष्ठ !! कलयुग में सत्कारं में किसी की रूचि न होगी। जब पुय क्षीण हो जायेंगे तो मनुष्य की बुद्धि असत कर्मों की ओर स्वयं ही प्रेरित होगी जिससे दुर्विचारी पुरुष स्वयं ही वंश सहित समाप्त हो जायेंगे ।इस पृथ्वी पर जो मनुष्य ग्यानी होकर भी ज्ञान की शिक्षा नहीं देता , उस पर परम पिता परमेश्वर कभी प्रसन्न नहीं होते हैं। हे महामुने ! ऐसा कौन सा उत्तम व्रत है , जिससे मंवांचित फल की प्राप्ति होती हो कृपया बताईये ।

दयालु हृदय , श्री सूत जी कहने लगे -'' हे श्रेष्ठ मुनियों आप और शौनक जी धन्यवाद के पात्र हैं आपके विचार सराहनीय एवं प्रशंसनीय हैं। आपके हृदय में सदैव परहित की भावना रहती है , इसलिए शौनक जी सुनो मैं उस उत्तम व्रत को तुमसे कहता हूँ , जिसको करने से सब पाप नष्ट हो जाते हैं , यह व्रत धन की वृद्धि करने वाला, दुःख विनाशक, सुख प्रदान करने वाला, संतान देने वाला , मंवांचित फल की प्राप्ति करने वाला है , इसको भगवान् शंकर जी ने भगवती सती जो को सुनाया था , सती जी ने इसका उपदेश मेरे पूज्य पाल्गुरु को सुनाया , और उन्होंने मुझे सुनाया और अब मैं आपको सुनाता हूँ।''


सूत जी कहने लगे की ''आयु , स्वास्थ्य लाभ के लिए रविवारी त्रयोदशी का व्रत करना चाहिए इस दिन व्रत करने वाले को बिना अन्न खाए दिन भर रहना चाहिए , शाम को भगवान् की पूजार्चना के बाद भोजन करना चाहिए।'' ऋषि बोले ''कृपया करके बताएं की इस व्रत को किसने किया और क्या फल हुआ ?''


श्री सूत जी बोले :'' हे ज्ञानियों ! एक गाँव में एक बहुत गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पवित्र पत्नी त्रयोदशी / प्रदोष व्रत किया करती थी ।उसका एक पुत्र था। एक बार उसका पुत्र गंगा स्नान के लिए गया। दुर्भाग्यवश मार्ग में उसको चोरों ने पकड़ लिया और वे कहने लगे , ''कि हम तुझे मार देंगे नहीं तो अपने पिता का गुप्त धन हमें बता दे ''।बालक ने कहा कि'' हम तो बहुत गरीब हैं हमारे पास कोई गुप्त धन नहीं है ''।चोर कहने लगे ''तेरे पास पोटली में क्या बंधा है ?'' बालक ने निसंकोच उत्तर दिया कि मेरी माता ने मुझे रोटी बांधकर दी है , दूसरा चोर बोला '' ये तो बहुत गरीब है ।''


इस प्रकार बालक वहां से प्रस्थान कर गया और एक नगर में पहुंचा नगर के पास एक बरगद का पेड़ था , बालक थककर वृक्ष कि छाया में सो गया। उस नगर के सिपाही चोरों कि खोज कर रहे थे , खोज करते करते उस बालक के पास आ गए और उसे भी चोर समझकर राजा के पास ले गए । राजा ने उसे जेल में दाल दिया उधर बालक कि माँ भगवान् शंकर का प्रदोष व्रत कर रही थी , उसी रात को राजा को सपना आया कि ये बालक चोर नहीं है , प्रातः इसे छोड़ दो नहीं तो आपका सारा वैभव, राज्य नष्ट हो जायेगा । सुबह में रजा ने बालक को बुलवाया और बालक से सारा वृतांत सुना , और उसके माता पिता को भी बुलवा लिया , उसके माता पिता भयभीत हो गए रजा ने कहा भय मत करो, तुम्हारा बालक निर्दोष है, तुम्हारी गरीबी देख्क्लर हम ५ गाँव दान में देते हैं । इस प्रकार भगवान् शिव जी कि कृपा उन पर हुई ।



ॐ नमः शिवाय

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