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Saturday, September 11, 2010

jai Maa Saraswati- हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी


 jai Maa Saraswati


हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली......

हे, अमृत रस, वर्षाने वाली.........

तेरी, महिमा अपरम्पार,तुझको, पूज रहा संसार .........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

जो जन तेरी, शरण में आते,बल बुद्धि विद्या, ज्ञान हैं पाते .........

२हे मोक्षदायिनी, देवी माता ......

२कर दो बेड़ा पार ..........

तुझको पूज रहा संसार .........२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

हम पर कृपा बनाये रखना ,ज्ञान से मन हर्षाये रखना ....

२हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी .......

२हर लो, जग का सब अंधकार ......

तुझको पूज रहा संसार ....२

हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......2

--अम्बरीष श्रीवास्तव





2 comments:

  1. हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली......

    हे, अमृत रस, वर्षाने वाली.........

    तेरी, महिमा अपरम्पार,तुझको, पूज रहा संसार .........२

    हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

    जो जन तेरी, शरण में आते,बल बुद्धि विद्या, ज्ञान हैं पाते .........

    २हे मोक्षदायिनी, देवी माता ......

    २कर दो बेड़ा पार ..........

    तुझको पूज रहा संसार .........२

    हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......

    हम पर कृपा बनाये रखना ,ज्ञान से मन हर्षाये रखना ....

    २हे वीणाधारिणी हंसवाहिनी .......

    २हर लो, जग का सब अंधकार ......

    तुझको पूज रहा संसार ....२

    हे, ज्ञान की ज्योति, जगाने वाली.......2

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